हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है। जिसके बाद मोदी सरकार श्रम कानून को भी फिलहाल टालने की मूड में नजर आ रही है।
माना जा रहा है कि सरकार श्रम कानून पर भी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद फैसला लेगी।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना की अवधि भी बढ़ा दी गई है।
एक के बाद एक मोदी सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों को लेकर विपक्षी दलों द्वारा सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
कई विपक्षी नेताओं का कहना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को सीटों का नुकसान होता देख सरकार द्वारा यह कदम उठाए गए हैं।
इस मामले में महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मालिक ने मोदी सरकार पर हमला बोला है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि “2022 में 5 राज्यों में चुनाव हैं, आदरणीय प्रधान मंत्री मोदीजी ने 3 कृषि कानून वापस लिए और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की अवधि भी मार्च 2022 तक बढ़ा दी।
चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कर लें, लेकिन हार तो निश्चित है।
२०२२ में ५ राज्यों में चुनाव हैं, आदरणीय प्रधान मंत्री मोदीजी ने ३ कृषि कानून वापस लिए और प्रधान मंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की अवधि भी मार्च २०२२ तक बढ़ा दी,
चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कर लें, लेकिन हार तो निश्चित है.— Nawab Malik نواب ملک नवाब मलिक (@nawabmalikncp) November 25, 2021
दरअसल हाल ही में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर हुए सर्वे में सामने आया है कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को उत्तर प्रदेश में 100 से ज्यादा सीटों का नुकसान हो सकता है।
जिसके पीछे का बड़ा कारण किसान आंदोलन ही माना जा रहा था।
बता दें, केंद्र की सत्ता हासिल करने के लिए किसी भी राजनीतिक दल के लिए उत्तर प्रदेश चुनाव अहम् माने जाते हैं।
इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है।
दरअसल देश के 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में से दो राज्य ऐसे हैं। जहां किसानों की आबादी काफी ज्यादा है। यह राज्य उत्तर प्रदेश और पंजाब हैं। जहां पर भाजपा का कड़ा विरोध हो रहा है।