मोहन भागवत ने फिर उठाया देश के विभाजन का मुद्दा, कहा – देश टूटने के इतिहास को समझना होगा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख प्रमुख मोहन भागवत ( RSS Chief Mohan Bhagwat ) ने एक बार फिर देश के बंटवारे का मुद्दा उठाया है। इस बार उन्होंने कहा कि विभाजन एक योजना बंद साजिश थी। विभाजन का दर्द विभाजन के खत्म होने पर ही मिटेगा। ये बातें आरएसएस ( RSS ) प्रमुख ने एक किताब के विमोचन कार्यक्रम के दौरान कही।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नोएडा में लेखक कृष्णानंद सागर के द्वारा लिखी गई किताब “विभाजन कालीन भारत के साक्षी” के विमोचन के मौके पर कहा कि देश का विभाजन न मिटने वाली वेदना है। उसका निराकरण तभी होगा। जब ये विभाजन निरस्त होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि ये नारों का विषय नहीं है नारे तब भी लगते थे लेकिन विभाजन हुआ। ये सोचने का विषय है। उन्होंने कहा कि दोबारा देश का विभाजन नहीं होगा।

भागवत ने यह भी कहा कि भारत की पारंपरिक विचारधारा का सार सबको साथ लेकर चलना है। खुद को सही और दूसरों को गलत मानना नहीं। देश का बंटवारा कोई राजनीति का विषय नहीं है। ये हमारे अस्तित्व का प्रश्न है। देश के विभाजन के लिए तात्कालीन परिस्थितियों से ज्यादा ब्रिटिश सरकार और इस्लामी आक्रमण जिम्मेदार थे।

मोहन भागवत ने कहा कि इस्लामी आक्रांताओं की सोच यह थी कि वे खुद को सही और दूसरों को गलत मानते थे। अतीत में संघर्ष का मुख्य कारण यही था। अंग्रेजों की भी यही सोच थी। उन्होंने 1857 के विद्रोह के बाद हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच अलगाव को बढ़ाया। आज का भारत 1947 का नहीं बल्कि 2021 का भारत है। विभाजन एक बार हो गया, वह दोबारा नहीं होगा। इसके उलट जो सोच रखते हैं वे खुद बर्बाद हो जाएंगे।

इसके अलावा उन्होंने कहा कि देश कैसे टूटा उस इतिहास को पढ़कर हमें आगे बढ़ना होगा। विभाजन को समझने के लिए हमें उस समय को समझना होगा। भारत का विभाजन उस समय की परिस्थिति से ज्यादा इस्लामिक और ब्रिटिश आक्रमण का परिणाम था। इसके अलावा उन्होंने कहा कि विभाजन के बाद भी दंगे होते हैं। दूसरों के लिए भी वही आवश्यक मानना जो खुद को सही लगे यह गलत मानसिकता है। अपने प्रभुत्व का सपना देखना भी गलत है। राजा सबका होता है और सबकी उन्नति उसका धर्म है।

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