12 साल की उम्र में घर से भागकर संत बना था आनंद गिरी, अब ऐसी है लग्जरी लाइफ: देखें तस्वीरें

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की मौ’त के बाद उनके शिष्य महंत आनंद गिरि की लाइफस्टाइल चर्चा में है। महंगी गाड़ियों से घूमना और कीमती मोबाइल रखना उनका शौक है।

वह भले ही भगवा कपड़े पहनते हैं लेकिन वे भी काफी महंगे होते हैं। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया में महिलाओं से छेड़छा’ड़ और हवाई जहाज में शराब के साथ फोटो को लेकर भी काफी विवा’दों में रहे।

होंडा सिटी पसंदीदा गाड़ी

आनंद गिरि प्रयागराज में संगम तट पर लेटे हनुमान मंदिर में महंत नरेंद्र गिरि के सबसे विश्वासपात्र थे। इसलिए उनको ‘छोटे महाराज’ कहा जाता था। आनंद गिरि यूं तो लग्जरी कारों के शौकीन हैं। प्रयागराज में उनके करीबी बताते हैं कि चमचमाती होंडा सिटी उनकी पसंदीदा गाड़ी है।

बुलेट से करते थे स्टंट

लग्जरी चार पहिया वाहनों के अलावा आनंद गिरी की पसंद बुलेट भी है। माघ मेले के दौरान अक्सर उनको बुलेट पर देखा जा सकता था। वह कभी-कभी बुलेट पर स्टंट भी करते नजर आते थे। तब भी उनके हाथों में ऐपल कंपनी के दो मोबाइल होते थे। वह जल्दी-जल्दी मोबाइल भी बदलते रहते थे।

शरा’ब के साथ वायरल हुई फोटो

पिछले साल ही आनंद का एक फोटो वायरल हुआ था। फोटो में वह विमान के बिजनेस क्लास में बैठे नजर आ रहे थे। सामने होल्डर पर शरा’ब से भरा गिलास रखा था। इस फोटो के वायरल होने पर मठ से जुड़े लोगों ने ऐतराज जताया था। इस पर आनंद गिरि ने सफाई दी कि उस गिलास में ऐपल जूस था। उनको बदनाम करने के लिए तस्वीर वायरल की गई थी।

आनंद गिरि पर यह भी आरो’प लगते रहे कि वे संत परम्परा के खिला’फ अपने परिवार से सम्बंध रखते थे। मंदिर से जुड़े करीबियों के अनुसार आनंद गिरि का रहन-सहन और विवा’द कई बार उनके गुरु से मनमु’टाव का कारण बने।

ऑस्ट्रेलिया में लगा छेड़छा’ड़ का आरो’प

आनंद गिरि देश-विदेश की यात्राएं भी खूब करते रहे हैं। करीब छह साल पहले वह ऑस्ट्रेलिया गए थे। वहां होटल में दो महिला’ओं से छेड़छा’ड़ और मा’रपी’ट का भी आ’रोप उन पर लगा था। उनके खिला’फ महि’लाओं ने शिका’यत भी दर्ज कराई थी।

हालांकि तब उनके गुरु नरेंद्र गिरि के दखल और वकीलों के मदद से रिहा कराया गया था लेकिन इससे नरेंद्र गिरि ओर बाघंबरी मठ की छवि को काफी नुक’सान हुआ। इससे भी नरेंद्र गिरि काफी आहत हुए थे।

राजस्थान के रहने वाले हैं आनंद गिरी

आनंद गिरि राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले हैं। उनका परिवार आज भी सरेरी गांव में रहता है। आनंद गिरि निरंजनी अखाड़ा का सदस्य थे। इसी साल उनपर संत परंपरा का निर्वहन ठीक से न करने और अपने परिवार से संबंध बनाए रखने का आरोप लगा था।

इसके बाद उन्हें अखाड़े से निष्कासित कर दिया था। महंत नरेंद्र गिरी और आनंद गिरि के बीच लंबे वक्त से विवाद चल रहा था। माना जा रहा था कि इस विवाद की जड़ बाघंबरी पीठ की गद्दी थी।

कुछ साल पहले स्वामी आनंद गिरि ने खुद को महंत नरेंद्र गिरि का उत्तराधिकारी घोषित किया था। जिसका बाद में महंत नरेंद्र गिरि ने इसका खंडन करते हुए कहा था कि सभी शिष्य एक समान हैं, अभी कोई मेरा उत्तराधिकारी नहीं है। बताया जाता है कि इस विवा’द की जड़ बाघंबरी पीठ की गद्दी थी। जिसे आनंद गिरी हासिल करना चाहते थे।

टीवी चैनल संस्कार पर आनंद गिरि का प्रवचन आता था, उसी पर उसके घरवालों ने उन्हें देखा और पहचान लिया. 2012 में महंत नरेंद्र गिरि के साथ अपने गांव भी आए थे.

नरेंद्र गिरि ने उनको परिवार के सामने दीक्षा दिलाई और वह अशोक से आनंद गिरि बन गए. आनंद गिरि शक के दायरे में इसलिए हैं, क्योंकि नरेंद्र गिरि से उनका विवा’द काफी पुराना था.

इसकी वजह बाघंबरी गद्दी की 300 साल पुरानी वसीयत है, जिसे नरेंद्र गिरि संभाल रहे थे. कुछ साल पहले आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरि पर गद्दी की 8 बीघा जमीन 40 करोड़ में बेचने का आ’रोप लगाया था. इसके बाद विवाद गहरा गया था.

आनंद ने नरेंद्र पर अखाड़े के सचिव की ह’त्या कर’वाने का आ’रोप भी लगाया था. परिवार के लोगों ने बताया कि आनंद गिरि जब सातवीं कक्षा में पढ़ते थे, तब ही गांव छोड़ हरिद्वार चले गए थे.

वह ब्राह्मण परिवार से हैं. पिता गांव में ही खेतीबाड़ी करते हैं. आनंद गिरि परिवार में सबसे छोटे हैं. उनके तीन भाई हैं. एक भाई आज भी सब्जी का ठेला लगाते हैं.

दो भाई का सूरत में कबाड़ का काम है. सरेरी गांव आनंद गिरि को एक अच्छे संत के रूप में मानता है. उन्हें शांत और शालीन स्वभाव का बताया जाता है.

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