फोर्ड कंपनी के ग्राहकों के लिए एक बुरी खबर सामने आ रही है। भारत में फोर्ड इंडिया कंपनी बंद होने जा रही है। जानकारी के मुताबिक फोर्ड इंडिया कंपनी भारत में कार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बंद करने जा रही है। कंपनी के इस फैसले से 4000 से ज्यादा के स्टाफ की नौकरी जा चुकी है। फोर्ड ने अपने स्टाफ से फोर्ड फिगो, फोर्ड फ्रीस्टाइल, फोर्ड इकोस्पोर्ट जैसे मॉडलों का उत्पादन भारत में बंद करने को कहा है। जिस पर तेजी से काम चल रहा है।
फोर्ड के बंद होने की खबर आते ही गोदी मीडिया ने सरकार के पक्ष में अपना मोर्चा संभाल लिया है । जैसे ही कल फोर्ड मोटर्स द्वारा भारत में कामकाज समेटने की खबर आई इस घटना पर गोदी मीडिया के प्रमुख अख़बारों और चैनलों ने इसे स्वदेशी अपनाओ की पहल बताना शुरू कर दिया और तो और एक संस्थान ने यहाँ तक लिखा कि……..‘फोर्ड ने रतन टाटा को औकात दिखाने की कोशिश की, टाटा मोटर्स ने ऐसे रौंदा कि ताले लग गए’।
सरकार से वाजिब सवाल पूछने के बजाए कि फोर्ड जैसी कम्पनी भारत में बिजनेस क्यों बंद कर रही है गोदी मीडिया देश की जनता को यह अहसास दिलाने में लगी है कि फोर्ड तो इसलिए भाग खड़ी हुई क्योंकि उसे टाटा मोटर्स ने पीट दिया । पिछले दिनों देश की बड़ी ऑटो कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव ने वाहन उद्योग संगठन सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (SIAM) के 61वें सालाना सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि सरकारी अधिकारी ऑटो इंडस्ट्री को सपोर्ट देने के बारे में बयान तो बहुत देते हैं, लेकिन जब बात सही में कदम उठाने की आती है, वास्तव में कुछ नहीं होता।
उन्होंने कहा, ‘हम ऐसी स्थिति से गुजर रहे हैं, जहां इस उद्योग में लंबे समय से गिरावट आ रही है। आर सी भार्गव ने इस भाषण में मंच पर उपस्थित अमिताभ कांत (नीति आयोग के सीईओ) से पूछा था कि , ‘क्या हम आश्वस्त हैं कि देश में पर्याप्त संख्या में ग्राहक हैं जिनके पास हर साल लाखों कार खरीदने के साधन हैं? क्या आय तेजी से बढ़ रही है? क्या नौकरियां बढ़ रही हैं ? एक बात तो बिल्कुल साफ़ है कि छोटी बजट कारो की खरीद मध्यम वर्ग करता है , और अगस्त में 15 लाख नौकरी जाने की खबर है इसका मतलब यह हुआ कि देश का मध्यम वर्ग बुरी तरह से आर्थिक तंगी से जूझ रहा है।
ऑटोमोबाईल कंपनियों में फोर्ड काफी बड़ा नाम है और सालों से भारत में बिज़नेस करता आ रहा है। उसके लिए इतनी सी बात समझने में ज्यादा समय नहीं लगा और उसने भारत से जाना ही सही समझा । पर गोदी मीडिया सरकार की नाकामी के बजाय इसे स्वदेशी का नारा देने में लगा है । गोदी मीडिया ऐसे ही सरकार की नाकामियां छुपाता आ रहा है और इसका बदला देश का आम नागरिक चूका रहा है ।
एक आंकड़े के हिसाब से अगर वाहन उद्योग को अर्थव्यवस्था तथा विनिर्माण क्षेत्र को गति देना है, देश में कारों की संख्या प्रति 1,000 व्यक्ति पर 200 होनी चाहिए जो अभी 25 या 30 है। इसके लिए हर साल लाखों कार के विनिर्माण की जरूरत होगी। इससे यह अर्थ निकलता है कि पैसेंजर कार मार्केट में ग्रोथ की बहुत बड़ी संभावना अभी भी मौजूद है ऐसे में फोर्ड का जाना मोदी सरकार की आर्थिक नीतियो पर प्रश्नचिन्ह लगाता है । लेकिन गोदी मीडिया तो इस घटना को ऐसा दिखा रहा है जैसे कि फोर्ड टाटा मोटर्स से डरकर भाग गया हो ।
फोर्ड इंडिया कंपनी ने 1990 में भारत में अपनी शुरुआत की थी। कंपनी भारत में फोर्ड फिगो, फोर्ड फ्रीस्टाइल, फोर्ड इकोस्पोर्ट, फोर्ड फ्रीस्टाइल, फोर्ड इकोस्पोर्ट, एस्पायर और एंडेवर मॉडल्स को बेचती है। एक समय इसका मार्केट शेयर करीब 1.57 प्रतिशत का था और यह कार कंपनी भारत में 9 वें स्थान पर थी।