प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका पर फतह हासिल कर लौट आए हैं। भारतीय प्रधानमंत्री के आते ही भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं ने कई राज्यों से फूल मंगवाए। जिनकी माला पहनाकर पीएम का स्वागत किया गया। भाजपाइयों ने मोदी की अमेरिका यात्रा को ऐसा दिखाया-जताया कि मानो मोदी जी अकेले ही कोई विश्व युद्ध जीत लाए हों।
पहले तो अमेरिकी अखबार द न्यूयार्क टाइम्स (The Newyork Times) का पहला पन्ना फर्जी बना डाला। जिसमें भाजपा का आईटीसेल सितंबर की स्पेलिंग भी ठीक ना लिख सका। उसके बाद साहब अपना निजी कैमरा प्रचारक लेकर सेंट्रल विस्टा का काम कहां तक पहुँचा देखने चले गये। भक्तों, गोदी भक्तों ने वाहवाही बिखेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। लेकिन लोग कह रहे, सच में, हद है फेंकने की।
फूलों की बारिश कराई गई, ऐसा करके अपनी इज्जत के झंडे और भी ऊंचे कर लिए। जो बाइडेन तो इस खबर पर हंस-हंसकर लोटपोट हो रहा होगा। इन्होंने दिल्ली में जो ड्रामा किया, वो अमेरिका से बराबरी के तुल्य व्यवहार नहीं, अमेरिकी दौरे को इतनी अहमियत देकर अमेरिका (America) और उसके गुरुर को बड़ा कर दिया। बराबरी का व्यवहार तो वो माना जाता, जब ऐसा जताया जाता कि जैसे भारत को अमेरिका की कोई खास जरूरत नहीं है और भारत, अमेरिका से मीटिंग को एक सामान्य रूटीन मुलाकात मानता है।
वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह ने लिखा है, ‘चूँकि अमेरिका के किसी प्रमुख अख़बार के लिए मोदीजी की महानता और उनका दौरा मानवता या अमरीकी नागरिकों के लिये लगभग बेमक़सद बेमतलब था इसलिए वहाँ उसे कहीं जगह न मिली। अंजना ओम कश्यप गलती से एक दिन वहाँ के अख़बार बाँच कर यह सत्य उद्घाटित कर गईं। लेकिन संघी IT Cell ने अपने मूर्ख समर्थकों के लिए न्यूयार्क टाइम्स का प्रथम पृष्ठ कुछ इस तरह फोटोशाप (Photoshop) करके आग की तरह फैला दिया है। लेकिन इन फोटोशापियों से सितंबर तक की स्पेलिंग सही न लिखी जा सकी।