किसी भी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना से जनता को कितना फायदा हुआ यह देखा जाता है। लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार द्वारा शुरू की गई ‘हर घर नल का जल’ स्कीम से जरूरतमंदों से ज्यादा नेताओं के रिश्तेदारों को फायदा पहुंचा है।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, इस स्कीम से जरूरतमंदों को टंकी से पानी तो मिला लेकिन साथ ही साथ इसके जरिए बिहार के डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद के परिवार, सहयोगियों को 53 करोड़ के कॉन्ट्रैक्ट भी मिले।
जब डिप्टी सीएम से इसपर सवाल पूछा गया तो वह बोले कि इसमें गलत क्या? बिज़नेस करना गलत तो नहीं।
गरीबों को उनके घरों में नल के माध्यम से पीने का पानी सुनिश्चित करने के लिए बिहार की शोपीस योजना, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा ठीक पांच साल पहले शुरू की गई हर घर नल का जल, कई मायनों में कागजों पर सफल है – इसने कागजों पर लक्ष्य का 95% से अधिक कवर किया है जिसमें की 1.08 लाख पंचायत वार्ड शामिल हैं।
लेकिन जमीन पर, योजना के कार्यान्वयन को राजनीतिक संरक्षण के रूप में भी देखा जा सकता है, जो कि नीतीश के सुशासन के संदेश की पोल खोलता है।
जानकारी के लिए बता दें कि भाजपा विधायक दल के नेता और उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद के परिवार के सदस्य और सहयोगियों को इस योजना के तहत 53 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं मिली हैं।
इसके बाद दो सत्तारूढ़ दलों, जेडीयू और भाजपा के राज्य-स्तरीय नेताओं का एक समूह आता है। जब सरकारी योजनाओं को लागू करने की बात आती है तो यहां के नागरिक निर्माण व्यवसाय में राजनीति कैसे व्याप्त है यह आपको इस खबर से साफ़ साफ पता चल जायेगा।
कैसे भाजपा और नितीश सरकार मिलकर सुशासन का नाम देकर करती है । अंग्रेजी में कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट नामक शब्द सुना होगा आपने और अगर अबतक उसका अर्थ नहीं समझ आया तो इसे ध्यान से पढियेगा।
जिस कनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट के चलते असदक़ों को प्राइवेट नौकरी तक नहीं दी जाती उसी बात पर डिप्टी सीएम साहब कह रहे हैं कि इसमें गलत क्या है।
और यह सब तब है जब केंद्र ने पिछले महीने अपने स्वयं के जल जीवन मिशन को प्रदर्शित करते हुए, बिहार को इसके हिस्से के रूप में शामिल किया। हालाँकि राज्य के जल मंत्री ने इसका खंडन किया था।
रिकॉर्ड बताते हैं कि 2019-20 में, पीएचईडी ने कटिहार जिले के कम से कम नौ पंचायतों, (जहां से डिप्टी सीएम प्रसाद चार बार विधायक रहे हैं) में कई वार्डों को कवर करते हुए पेयजल योजना के तहत 36 परियोजनाएं आवंटित की थी।
और यह आवंटन डिप्टी सीएम प्रसाद की बहू पूजा कुमारी और उनके साले प्रदीप कुमार भगत से जुड़ी दो कंपनियां; और करीबी सहयोगी प्रशांत चंद्र जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार को किये गए थे।
कुछ मामलों में तो परिवार की पूरी पकड़ थी। रिकॉर्ड बताते हैं कि कटिहार में भवड़ा पंचायत के सभी 13 वार्डों में सभी काम पूजा कुमारी और भगत की कंपनी को दिए गए।
कटिहार में योजना के क्रियान्वयन से जुड़े अधिकारियों ने जानकारी दी कि पूजा कुमारी के पास इस क्षेत्र में किसी भी काम का कोई रिकॉर्ड नहीं है। प्रसाद ने भी इस बात की पुष्टि की कि उनकी बहू को चार वार्डों का ठेका मिला था, लेकिन उन्होंने कहा कि उनका दो अन्य कंपनियों से कोई सीधा संबंध नहीं है, हालांकि उनके साले उनमें से एक के निदेशक थे।
पूजा कुमारी पीएचईडी के साथ एक व्यक्तिगत ठेकेदार के रूप में पंजीकृत हैं और उनका डाक पता और उनके ससुर जी का डाक पता एक ही है। उन्हें कटिहार शहर से बमुश्किल 10 किलोमीटर दूर भवदा पंचायत के चार वार्डों में काम आवंटित किया गया था, जिसकी अनुमानित लागत 1.6 करोड़ रुपये है।
जून 2016 से जून 2021 तक कटिहार में पीएचईडी के कार्यकारी अभियंता के रूप में इन अनुबंधों के अनुमोदन प्राधिकरण सुबोध शंकर ने कहा कि परियोजना पूरी हो चुकी है और लगभग 63 प्रतिशत धन पूजा कुमारी को वितरित किया गया है। हालाँकि ग्राउंड रिपोर्ट की माने तो कई लोगों ने दोषपूर्ण कार्यान्वयन और अधूरे काम की शिकायत की है ।
आरओसी रिकॉर्ड में पाया गया कि डिप्टी सीएम प्रसाद के सहयोगी प्रशांत चंद्र जायसवाल, ललित किशोर प्रसाद और संतोष कुमार जीवनश्री इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक हैं।
कंपनी को पीएचईडी द्वारा योजना के तहत कटिहार के धरुआ, गढ़मेली, पूर्वी दलन, डालन पश्चिम, दंडखोरा, अमरेली, रायपुर और सहया की पंचायतों को कवर करने वाले 110 वार्डों में परियोजनाओं का आवंटन किया गया था। जानकारी के मुताबिक पीएचईडी द्वारा अब तक परियोजना लागत के 33 करोड़ रुपये कंपनी को वितरित किए जा चुके हैं।
आरओसी रिकॉर्ड से यह भी सामने आया कि डिप्टी सीएम प्रसाद के बहनोई प्रदीप कुमार भगत और उनकी पत्नी किरण भगत दीपकीरण इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के निदेशक है। पीएचईडी रिकॉर्ड बताते हैं कि कंपनी को योजना के तहत नौ वार्डों को कवर करने वाले तीन अनुबंध आवंटित किए गए थे, और यह सभी भवदा पंचायत के अंतर्गत आते हैं।
जानकारी के हिसाब से कुल परियोजना लागत का 1.8 करोड़ रुपये वितरित किया गया, और वह काम पूरा हो गया है।
लेकिन हकीकत यह है कि कि अभी भी कई कमियों को दूर किया जाना है। उदाहरण के लिए, वार्ड नंबर 1 पर, पानी की टंकी को अभी तक ठीक नहीं किया गया था, साइट पर पाइपों का ढेर अभी भी लगा हुआ है ।
बिहार के पीएचईडी मंत्री और भाजपा नेता राम प्रीत पासवान ने कहा कि उन्होंने “ऐसे मामलों के बारे में सुना है” लेकिन डिप्टी सीएम के परिवार और सहयोगियों को दिए गए अनुबंधों के बारे में नहीं।
उन्होंने कहा “हमें लोगों को आगे आने और इसके बारे में शिकायत करने की आवश्यकता है। यदि ठेकेदारों के पास इस बात का पर्याप्त प्रमाण है कि नौकरशाही या राजनीतिक प्रभाव वाले किसी अन्य व्यक्ति को उनके खर्च पर अनुबंध मिला है तो वे हमसे शिकायत कर सकते हैं।