अडानी (Gautam Adani) द्वारा संचालित पोर्ट (Mundra Port) से तीन टन ड्रग्स (Drugs) बरामद होने पर गोदी मीडिया (Puppet Media) कोई सवाल नहीं पूछ रहा है। सवाल मोदी सरकार (Modi Govt) के आका की इज्जत को बचाने का है। गांजे की एक पुड़िया बरामद होने पर चौबीस घंटे चीखने वाले एंकर भी इस मसले पर मुंह नहीं खोल रहे हैं और पूरा तंत्र अडानी को क्लीन चिट (Clean Chit) देने के लिए बेताब नजर आ रहा है।
ऐसा लग रहा है गलती से ड्रग्स के काले धंधे का पर्दाफाश हो गया है और राष्ट्रीय सुरक्षा को ठेंगे पर रखते हुए मोदी सरकार अपने आका अडानी की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए जी जान से जुट गई है। अधिकारियों ने मंगलवार को घोषणा की कि 16 सितंबर को गुजरात (Gujarat) में अडानी (Adani) द्वारा संचालित मुंद्रा बंदरगाह (Mundra Port) से अफगानिस्तान से आने वाली लगभग 3,000 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई। नशीली दवाओं की खेप ने कई कारणों से ध्यान आकर्षित किया। 15 हजार करोड़ रुपये मूल्य के तीन टन प्रतिबंधित पदार्थ को हाल की स्मृति में दुनिया में कहीं भी जब्त की गई इस तरह की सबसे बड़ी खेप कहा जाता है।
तालिबान द्वारा अफगानिस्तान (Afghanistan) के अधिग्रहण के बाद हुई अराजकता के दौरान खेप ने भारत में अपना रास्ता खोज लिया। उत्तर प्रदेश के चुनावों पर नज़र रखने के साथ दक्षिणपंथी पारिस्थितिकी तंत्र शोर मचा रहा है और “राष्ट्र-विरोधी” अपराधियों की मदद से भारत को अफगानिस्तान से ड्रग्स के बारे में आशंकित कर रहा है।
लेकिन बरामदगी इस तथ्य को रेखांकित करती है कि अफगानिस्तान में तालिबान के पैर जमाने से पहले से ही भारत में ड्रग्स का प्रवाह होता रहा है, और सफाई देने वालों को अब यह समझाने में मुश्किल होगी कि इतनी बड़ी खेप गुजरात के रास्ते भारत में कैसे प्रवेश कर गई, जहां भाजपा सत्ता पर वर्षों से काबिज है।
ड्रग्स की भारी मात्रा ने एक और सवाल खड़ा कर दिया है: गुजरात ड्रग तस्करों के लिए भारत का सबसे पसंदीदा प्रवेशद्वार क्यों बन गया है। कांग्रेस ने कई उदाहरणों का हवाला दिया और बताया कि एक पूर्णकालिक नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो प्रमुख का पद 18 महीने से खाली पड़ा था। प्रवर्तन निदेशालय ने अब गुजरात में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी है।