कोरोनावायरस महामारी और कड़ाके की ठंड में खुले आसमान तले गुजार रहे किसान आखिर यह संघर्ष क्यों कर रहे हैं वो अपने घरों से फालतू नहीं है जो अपनी खेती बाड़ी छोड़कर इस ठंड में अपनी हड्डियां गला रहे हैं वो एक वाजिब बात को लेकर संघर्ष कर रहे हैं जिसका सरकार के पास ना तो कोई जवाब है और ना ही वह जवाब देना चाहती है बिका हुआ गोदी मीडिया किसान आंदोलन को बदनाम करने की बहुत कोशिश में लगा है लेकिन वह कुछ कर नहीं पा रहा ऐसे में सवाल उठाना लाजमी है कि आखिर किसान की ताकत क्या है ?
किसानों की ताकत अगर आप जानना चाहेंगे तो पूरा देश किसानों का कर्जदार है आज की तारीख में अगर 20 से 25 रुपये किलो के हिसाब से आटा लेकर एक आम आदमी अपने और अपने परिवार का पेट भरता है जनता यह समझ रही है कि अगर क्यों काटा ₹100 किलो मिलने लग जाएगा तो इस देश की एक बड़ी आबादी अपना पेट नहीं भर पाएंगे और भुखमरी आ जाएगी यही बात हर कृषि उपज पर लागू होती है |
इसलिए सब अन्नदाता के कर्जदार हैं उसकी इस पीड़ा को देश देख रहा है समझ रहा है और यही किसानों की सबसे बड़ी ताकत है किसानों को जन समर्थन मिल रहा है और जब लोग किसी भी आंदोलन मिथुन समर्थन देते हैं तो उस आंदोलन का महत्व बढ़ जाता है
किसान 26 नवंबर से सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं और अभी तक लगभग डेढ़ सौ लोगों ने अपनी जान इस आंदोलन में करवा दी है मगर सच्चाई यह है कि किसानों का जज्बा और भाईचारा ही इस आंदोलन को ताकत दे रहा है चाहे वह पंजाब का किसान हो चाहे वह हरियाणा का किसान हो चाहे वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान हो सब इस लड़ाई में एकजुट होकर एक साथ खड़े हैं और यही बात इस आंदोलन को मजबूत बनाती है