जब देश में कोरोनावायरस को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया तब यातायात की सुविधाएं बंद कर दी गई थी लेकिन लोग दिल्ली मुंबई जैसे शहरों में परेशान हो रहे थे जिनके पास खर्च के पैसे थे वो रुक गए थे और जिनके पास खर्च के पैसे नहीं थे वह घर जाने की सोच रहे थे लेकिन फिर भी उन्हें यातायात की कोई सुविधा नहीं हुई लेकिन इसके बाद जब प्रवासी मजदूरों को कोई सहारा नहीं मिला तब वे आत्मनिर्भर बनकर खुद घर की ओर अपना सामान उठा कर निकल पड़े।
सभी प्रवासी मजदूर पैदल घरों की ओर चलने लगे और यह सोचकर घर जाने लगे कि हो सकता है कि यहां काम नहीं है तो वहां काम मिल जाएगा और परिवार चलाना आसान हो जाएगा क्योंकि लॉकडाउन के समय सभी रोजगार और यातायात की सुविधाएं सब कुछ बंद हो गया था बस जरूरी सुविधाएं चल रही थी। उस समय लोग समूह बनाकर पैदल घर की ओर आ रहे थे हाईवे के सहारे सहारे सभी लोग घर की ओर पैदल आए थे।
लेकिन जब लॉकडाउन को बढ़ाया गया तो और ज्यादा लोग सड़कों पर दिखने लगे घर की ओर लौटने लगे क्योंकि उन लोगों के पास खर्च करने के लिए पैसे खत्म हो चुके थे इसीलिए वे लोग अपने घर की ओर चल पड़े थे। सभी लोग अपने सामान को बांधकर सर पर रख कर अपने परिवार के साथ घर लौट रहे थे जब घर लौटने वाले लोगों की संख्या में ज्यादा हुई तब लोग सड़कों पर दिखाई देने लगे।
तब बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद मसीहा बनकर प्रवासी मजदूरों के लिए आए उन्होंने प्रवासी मजदूरों के लिए बसों का इंतजाम कर कर उनके घर तक पहुंचाया सभी प्रवासी मजदूरों को बॉलीवुड एक्टर सोनू सूद ने मदद करके घर पहुंचाया जो लोग सड़कों पर पैदल घर की ओर चल रहे थे फिर बाद में बहे बसों में बैठकर घर पहुंचे थे और सभी लोगों ने सोनू सूद के लिए दुआएं पेश की।