भारत में कोरोनावायरस नहीं था तब प्रवासी मजदूर बड़े-बड़े शहरों में काम करने गए थे लेकिन जब लॉकडाउन को लगाया गया तब यह सारे प्रवासी मजदूर अपने घरों को लौट कर चले गए थे कोई पैदल आया था तो कोई बाद में बस से आया था। लेकिन यह सब प्रवासी मजदूर यही सोच कर आए थे कि हो सकता है कि हम लोग सब घर लौट रहे हैं वहां काम मिल जाएगा लेकिन जब घर लौट कर आए तो घर के आस पास भी कोई काम नहीं मिला।
लॉक डाउन का पूरा समय घर पर बिताने के बाद जब प्रवासी मजदूरों को काम नहीं मिला तब उन्होंने वापस शहर लौटने का मन बना लिया क्योंकि लॉकडाउन को अनलॉक किया जा चुका था और लोग शहर से आजा अभी रहे थे क्योंकि सरकार ने लोगों को आत्मनिर्भर बना दिया था। और आत्मनिर्भर बनने के बाद जब सरकार ने लॉकडाउन को पूरी तरीके से अनलॉक कर दिया तब लोग शहरों की यात्राएं करने लगे।
जब लोग लौट कर शहर वापस गए तब उन्हें वहां कोई काम नहीं मिला जो कंपनियां जो पहले काम कर रहे थे उनमें से कई कंपनियां बंद हो चुकी थी और उनकी नौकरियां भी खत्म हो चुकी थी लोग वहां इस इंतजार में थोड़े दिन बुके कि हो सकता है कोई ना कोई शहर में काम मिल जाए लेकिन काफी दिन रुकने के बाद जब प्रवासी मजदूरों को कोई काम ना मिला तो एक बार फिर उन्होंने घर लौटने का मन बना लिया।
क्योंकि इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था क्यों किस शहर का खर्च भी ज्यादा होता है पर यह प्रवासी मजदूर दूसरे शहरों में पैसा कमाने के लिए गए थे लेकिन वहां भी काम ना मिलने के कारण इन्हें दोबारा से घर लौटना पड़ रहा है और यह प्रवासी मजदूर जो मुंबई दिल्ली जैसे शहरों में काम करने के लिए गए थे उन्हें काम ना मिलने पर अब अपने गांव वापस लौटना पड़ रहा है।